पूरे देश में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर बड़े पंडालों में विराजे गणेश जी को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। गणेशोत्सव का महत्व महाराष्ट्र में अलग है। वहीं, मध् य प्रदेश, उत् तर प्रदेश, गुजरात और दिल्ली समेत कई राज् यों में गणेशोत्सव उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। गणेश पंडालों में शाम को होने वाली आरती में बहुत सारे श्रद्धालु उपस्थित होते हैं। गणेशजी की आरती और पूजा के बिना कोई पूजा या अनुष्ठान सफल नहीं माना जाता।
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गणेशजी की आरती, “जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा”, किसी भी देवी-देवता की पूजा से पहले पूरी श्रद्धा से गाई जाती है। लेकिन आपको पता है कि विघ् नहर्ता गणेश की ये आरती किसने लिखी है? माना जाता है कि गणेश जी प्रसन्न होते हैं तो भक्त को परेशानियों और संकटों से छुटकारा मिलता है। गणेश ज्ञान और बुद्धि के देवता हैं। उनकी दो आरती सबसे प्रसिद्ध हैं। मराठी वंदना पहली है, “जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा”, और दूसरी है, “सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघनांची।” दोनों छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु समर्थ रामदास ने लिखे थे।
वास्तव में, समर्थ रामदास को पुणे के अष्टविनायक तीर्थयात्रा सर्किट के मुख्य मंदिर मोरगांव में भगवान गणेश के एक रूप मयूरेश्वर को देखकर आरती लिखने की प्रेरणा मिली। भगवान गणेश की आरती करने का मुख्य उद्देश्य विघ् नहर्ता के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना है। दोनों आरती भक्तों को उनके धर्म के प्रति समर्पण का प्रतीक भी हैं। भगवान गणेश जी चतुर्थी से ग्यारह दिनों तक लोगों के घरों में निवास किया है। माना जाता है कि 11 दिन रहने के बाद विघ् नहर्ता जाते है तो अपने साथ भक्त की सभी परेशानियों को ले जाता है।