Vivah Panchami 2023: आज है विवाह पंचमी, ऐसे करें श्रीराम-सीता जी की पूजा, जाने मुहूर्त, विधि, मंत्र

Vivah Panchami 2023 : पंचांग के अनुसार आज मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। माना जाता है कि त्रेता युग में इसी तिथि पर भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। ऐसे में आज विवाह पंचमी मनाई जाएगी।  इस दिन श्रीराम और माता सीता की पूजा से सुख-सौभाग्य में तो बढ़ोतरी होती है, साथ ही आपके सारे काम भी सिद्ध होते हैं. इस साल विवाह पंचमी पर रवि योग का संयोग भी बन रहा है. आइए जानते हैं विवाह पंचमी पर पूजा का मुहूर्त, विधि, मंत्र और नियम

विवाह पंचमी 2023 मुहूर्त (Vivah Panchami 2023 Muhurat)

पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 16 दिसंबर 2023 को रात 08 बजे से शुरू होगी और 17 दिसंबर 2023 को शाम 05 बजकर 33 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार 17 दिसंबर को राम-सीता के विवाह की वर्षगांठ मनाई जाएगी

पूजा का मुहूर्त – सुबह 08.24 – दोपहर 12.17
दोपहर का मुहूर्त – दोपहर 01.34 – दोपहर 02.52
शाम का मुहूर्त – शाम 05.27 – रात 10.34

 

 

विवाह पंचमी पूजा विधि

विवाह पंचमी पर प्रात काल उठकर स्नान करें और श्री राम और माता सीता के विवाह का संकल्प लें. व्रत रखें
भगवान श्री राम और माता सीता की मूर्ति या तस्वीर की उत्तर या पूर्व दिशा में स्थापना करें.
भगवान श्रीराम को पीले रंग और माता सीता को लाल रंग के कपड़े पहनाएं.
अब घी का दीपक शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्, शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते।। इस मंत्र को बोलते हुए प्रज्वलित करें
विवाह पंचमी के दिन बालकांड में विवाह प्रसंग का पाठ करना चाहिए या फिर रामचरितमानस या राम रक्षा स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं.
माता जानकी को सुहाग की सभी चीजें अर्पित करें.
माता सीता भगवान श्रीराम का गठबंधन करें और उनकी आरती करें.
गरीब लोगों को भोजन कराएं और श्रद्धा अनुसार दान दें.

विवाह पंचमी पर न करें ये काम

विवाह पंचमी के दिन विवाह करना वर्जित है. मान्यता है इससे आने वाला वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं होता.
तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.
जीवनसाथी से लड़ाई नहीं करना चाहिए. इससे मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं.

विवाह पंचमी पूजा मंत्र

ॐ जनकनंदिन्यै विद्महे, भुमिजायै धीमहि। तन्नो सीता: प्रचोदयात् ।।
ऊं जानकी वल्लभाय नम:
ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम, लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम, श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः
ॐ दाशरथये विद्महे जानकी वल्लभाय धी महि। तन्नो रामः प्रचोदयात् ।।
तौ भगवानु सकल उर बासी। करिहि मोहि रघुबर कै दासी। जेहि कें जेहि पर सत्‍य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।।

 

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By saurabh

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